Muslim Man Azan Video Viral: जिस जगह पर मुगल काल से विवाद चल रहा है, उस पर नमाज पढ़कर शख्स ने फिर विवाद खड़ा कर दिया:
एक व्यक्ति का नमाज पढ़ते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है। इस वीडियो को देखकर लोग अलग-अलग प्रकार के टिप्पणी कर रहे हैं। साथ ही युवक की नमाज पढ़ने की कार्रवाई पर बहुत विवाद भी चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में दखल देते हुए उसे अरेस्ट कर लिया है। हालांकि नमाज पढ़ना मुसलमानों का आम काम है, लेकिन इस व्यक्ति की नमाज पढ़ने पर विवाद का कारण क्या है, यह सवाल आपके मन में आएगा। वास्तव में, सोशल मीडिया पर 12 सेकेंड का अजान का वीडियो है, जिसमें एक व्यक्ति अजान सुना रहा है। सामने एक वीरान और खंडहर हुई मस्जिद है। व्यक्ति और मस्जिद के बीच में गोबर के उपले पड़े हैं, जिनसे पता चलता है कि मस्जिद का आज का हाल कैसा है? यहां लोग अपने पशुओं को रखते हैं और उनके गोबर के उपले तैयार करते हैं।
अजान सुनाने पर विवाद का कारण क्या है?
आज नमाज पढ़ने वाले युवक का नाम 20 वर्षीय उमर कुरैशी है, जो उत्तर प्रदेश के जलालाबाद का निवासी है। वहीं जिस मस्जिद के सामने वह नमाज पढ़ रहा है, वह शामली में है और लगभग 250 साल पुरानी है। हालांकि इस स्थान की मस्जिद होने का विवाद है, क्योंकि 4 बीघा जमीन पर बनी यह इमारत मुगल काल की मानी जाती है। कुछ लोग इसे मस्जिद कहते हैं तो कुछ लोग इसे मनाहर राजाओं का महल कहते हैं। इसलिए जब उमर ने यहां नमाज पढ़ी तो विपक्षी पक्ष के लोगों ने आपत्ति की। विवाद को बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उमर को पकड़ लिया। उसपर IPC की धारा 505 (2) (शत्रुता को बढ़ावा देना) और IT एक्ट के अंतर्गत केस दर्ज किया। शामली के SP अभिषेक ने मीडिया को इस मामले की जानकारी दी और कार्रवाई के बारे में भी बताया।
मुगल काल से लड़ाई जारी है इस जगह पर
SP अभिषेक ने बताया कि उमर कुरैशी ने विवादित जगह पर नमाज पढ़कर उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डालकर वर्ष 1940 में ब्रिटिश सरकार के द्वारा जारी किए गए आदेश को तोड़ा है। 1940 के आदेश के मुताबिक, शामली में बनी मस्जिद में नमाज पढ़ना मना है। हालांकि मस्जिद तबाह हो चुकी है, लेकिन इसकी इमारत आज भी खड़ी है। बहुमत समुदाय इसे मनाहर राजाओं का हिस्सा मानता है। दूसरे लोग कहते हैं कि यह एक मस्जिद है। मुगल काल से ही इस जगह पर लड़ाई चल रही है। 1940 में इस जगह पर नमाज-पूजा फिर से शुरू हुई तो दंगा हुआ। इसके बाद तत्कालीन DM और जसमौर रियासत के महाराजा के सामने एक ‘पंचायत’ हुई जिसमें यह फैसला हुआ कि इस जगह न तो मुस्लिम जाएंगे और न ही हिंदू।
विवाद न बढ़े, इसलिए पुलिस कार्रवाई हुई:
मनहर खेड़ा किला कल्याण समिति के सचिव भानु प्रताप सिंह बताते हैं कि साल 1350 से यह जगह मनहर किले का हिस्सा रही है। यहां मनहर खेड़ा के हिंदू राजाओं ने शासन किया था, जिस पर बाद में मुगलों ने नियंत्रण कर लिया था। यह क्षेत्र नजीब-उद-दौला के प्रभाव में था, जो कादिर नजीब-उद-दौला के पोते थे, जिन्होंने नजीबाबाद की स्थापना की थी। नजीब-उद-दौला ने इस जगह को मस्जिद बना दिया, लेकिन आज यहां कोई मुस्लिम परिवार नहीं रहता है, फिर भी विवाद है। इसी विवाद के चलते अब यह मामला उठा और पुलिस धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया गया। हिन्दुओं और मुसलमानों में विवाद न हो, इसलिए पुलिस ने उमर को गिरफ्तार करके कार्रवाई की।