मधुबनी शहर के रीजनल सेकेण्डरि स्कूल में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के दिशा निर्देशन में भारतीय भाषा समर कैम्प 2025 का आयोजन दिनांक 08.06.2025 से 14.06.2025 तक किया गया I C.B.S.E. के सर्कुलर के अनुसार जानने वाले भाषा को छोडकर किसी अन्य भारतीय भाषा को जानने की दिशा में बच्चों, अभिभावकों एवं शिक्षकों को प्रेरित करना है I समर कैम्प का मूल उद्देश्य भारतीय भाषा विविधता के विभिन्न आयामों को युवा मष्तिष्क तक पहुंचाना एवं हर भारतीय भाषा की जानकारी रखना एवं भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का जन जन तक पहुंचना एवं इसे संरक्षित रखना है I
समर कैम्प में बंगला भाषा का चयन कर बच्चों को इसके मूल स्वरूप , बोलचाल , लेखन , कला एवं इसके सांस्कृतिक महत्व से परिचय कराया गया I कार्यक्रम की शुरुआत 08.06.2025 से विद्यालय के निदेशक डॉ0 राम शृंगार पाण्डेय एवं विद्यालय के प्राचार्य डॉ0 मनोज कुमार झा ने की I बंगला भाषा के रिसोर्स पर्सन के रूप में डॉ0 डिम्पल पाण्डेय, विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक गणेश चंद्र झा, बिपिन कुमार झा, आशिश कुमार, शैलेन्द्र कुमार पाण्डेय, श्वेता रहे I जबकि लगभग 950 बच्चों के साथ – साथ 60 शिक्षक शिक्षिकाएं एवं लगभग 200 अभिभावकों ने भाग लिया I सात दिवसीय इस कार्यक्रम में बच्चे, शिक्षक एवं अभिभावक बहुत उत्साह से भाग लिये I अपने सम्बोधन में विद्यालय के निदेशक डॉ0 राम शृंगार पाण्डेय ने बंगला भाषा के इतिहास को संदर्भित किया एवं बंगला महापुरुषों को भारतीय कला एवं संस्कृति में योगदान के विस्तृत रूप बताया I विद्यालय के प्राचार्य डॉ0 मनोज कुमार झा ने C.B.S.E. के इस पहल को सराहा एवं इससे होने वाले दूरगामी प्रभाव के बारे में जिक्र किया I डॉ झा ने इस समर कैम्प के शुरुआत से भारत के सम्पूर्ण भूभाग पर क्षेत्रीयता पर राष्ट्रवाद को तरजीह मिलेगा ऐसी आशा की I
विद्यालय के शैक्षणिक निदेशक प्रत्युष परिमल एवं विद्यालय के काउंसेलर मधु कुमारी ज्योत्सना C.B.S.E. के इस पहल को उत्साहित होने वाला और मेल जोल बढ़ाने वाला बताया विद्यालय के उप प्राचार्य पवन कुमार तिवारी एवं प्रशासक सह स्पेशल एजुकेटर राजीव कुमार ने भी सीबीएसई के इस पहल की सराहना की । रिसोर्स पर्सन ने अपनी कार्यदक्षता का परिचय देते हुए बच्चों को उत्साहित एवं गतिविधि में व्यस्त रखा I शिक्षकों की भूमिका सराहनीय रही इस सात दिवसीय कैंप को सफल बनाने में विद्यालय के शिक्षक अमित कुमार शाही , दीपक कुमार , समिति कुमार, रवि कर्ण, राजाराम आदि ने महत्वपूर्ण योगदान किया।