अड़रियासंग्राम (झंझारपुर) से गौतम झा की रिपोर्ट
झंझारपुर अनुमंडल के सीमावर्ती गांव उजान के कायस्थ टोला में होली की पूर्व संध्या पर केकेएम के बैनर तले होली मिलन समारोह एवं कवि गोष्ठी का भव्य आयोजन भ्राता द्वय प्रभाकर कर्ण एवं रत्नाकरण के संयोजन, डॉ संजीव शमा के कुशल संचालन एवं सेवानिवृत शिक्षक अरुण कुमार लाल दास की अध्यक्षता में किया गया ।
कार्यक्रम का शुभारंभ गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित एवं डॉ सिम्मी प्रिया के स्वागत गान से हुआ । इस अवसर पर आयोजक द्वारा मिथिला परंपरानुसार पाग एवं शॉल से उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों का सम्मान किया गया । समारोह को संबोधित करते हुए प्रो.(डॉ.) दिलीप कुमार चौधरी ने कहा कि चित्रांश समाज आदिकाल से ही देश के नव निर्माण एवं समृद्धता में अपनी अहम भूमिका निभाने का काम किया है । चाहे वेद, पुराण, उपनिषद की रचना हो या देश का संविधान उन्होंने गरुड़ पुराण को चित्रगुप्त पुराण बताते हुए कहा कि इस पुराण के अध्ययन से यह बात सिद्ध होती है । उन्होंने नई पीढ़ियों में संस्कृति और संस्कार के क्षीण होते स्थिति से निबटने के लिए कायस्थ समाज के लोगों से अपने बच्चों को पूर्वजों के सुकृत्य एवं उनके इतिहास से अवगत कराने की अपील की ।
वक्ताओं में रंगकर्मी रविन्द्र बिहारी राजू, अजय कुमार दास पिंटू, राघवेंद्र लाल दास, संदीप दास, भागीरथ दास, अनिल कुमार दास, सतीश चन्द्र दास, कौशल मोहन दास, श्याम मोहन कर्ण, संजीव कुमार दास आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
श्रृंगार रस के वरिष्ठ कवि तारानंद लाल दास की अध्यक्षता एवं समीर कुमार दास के संचालन में कवि गोष्ठी की शुरुआत बाल कवि रोहिताक्ष दर्शित द्वारा पठित हमहीं बौक अकान से हुआ। श्रृंगार रस के कवि तारानंद लाल दास ने अपनी रचना फागुन के दिन चार, होली खेले ऋतु पति वसंत एवं चंदा जाह पिया के देश हमर संवाद पिया के सुनबिह लबिह कुशल सनेश सुनाकर कवि गोष्ठी में चार चांद लगा डाला। उमेश नारायण कर्ण कल्प कवि ने होरीमे करय बलजोरी, जोड़ा जोड़ी छोड़ा दिअ ने, कवयित्री शैल रीता दास ने होली रचना बरसाने मे रंग बरसे एवं बहुत घुमलऊं चलू घूमी गाम बाट तकैत हेतै आङन दलान, गीतकार गायक कौशल कुमार कर्ण ने अपनी रचना चल – चल गे सुंदरी तू मिथिला के गाम सुनाकर श्रोताओं को काव्य सागर में भिंगोते हुए सराबोर कर डाला । वहीं, कवि विपिन कुमार कर्ण की होली रचना सुनू यौ सजना मानू एकटा बात गाम आबि जाउ फागुन मासे खेलब होलीक रास को श्रोताओं ने खूब सराहा । हास्य रस के कवि कन्हैया कुमार दास ने प्रेमक होली कतय बिला गेल कतय गेल उ फगुआ यौ, वहीं डॉ. संजीव शमा की हास्य रस की रचना अहां जे जोगार लगेबै तखने मचतै होली मुखिया जी, हास्य कवि समीर कुमार दास ने बीपी शुगर के इलाज शीर्षक से अपनी कविता हमर बात के अमल करू सुनाकर श्रोताओं को हँसने के लिए मजबूर कर डाला । कवि अमरकांत लाल ने अपनी रचना बिहुँसत नवल कलश, प्रभाकर कर्ण एवं रत्नाकरण द्वारा संयुक्त रूप से कवि शैलेंद्र शैल की होली जोगीरा की प्रस्तुति को दर्शकों ने खूब सराहा ।
कार्यक्रम का समापन डॉ संजीव शमा एवं अजय कुमार दास के संगीत संयोजन में संदीप दास एवं शंकर सुमन के गाये पारंपरिक होली गीत मिथिला में राम खेले होली तथा बाबा हरिहर नाथ सोनपुर में रंग लूटे के साथ हुआ। कार्यक्रम को सफल बनाने में राजीव कर्ण एवं उनके टीम के सदस्यों की भूमिका अहम रही। समारोह में शामिल आगंतुक अतिथि एवं ग्रामीणों द्वारा स्मृतिशेष डॉ सोमनाथ मल्लिक(मेघौल), श्रीकांत लाल दास (लौफा) समेत दिवंगत हुए अन्य पांच व्यक्ति के प्रति दो मिनट का मौन रख श्रद्धा सुमन अर्पित किया गया। इस आयोजन में रामपुर, बैंगनी, सरहद, खड़ौआ, कनकपुरा, नवानी, रेवाड़ी, बेलारही, सखवार, रतुपार समेत दर्जनों गांव के लोगों का प्रतिनिधित्व रहा।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आयोजक रत्नाकरण ने समारोह को सफल बनाने के लिए सबों के प्रति आभार जताया ।