नीतीश झा कि रिपोर्ट:
मधुबनी पेंटिंग को लेकर विदेशी सैलानी हमेशा मधुबनी आते रहते हैं । मधुबनी पेंटिंग सीखने पहुंची इटली की रिसर्च 33 वर्षीय स्कॉलर अल्फांसो इनरिका ,पेंटिंग शिक्षिका रानी झा से सीख रही हैं पेंटिंग,बोलती हैं फर्राटेदार हिंदी। इटली निवासी अल्फांसो को बचपन से पेंटिंग में इंटरेस्ट रहा है और यही कारण है मिथिला पेंटिंग का आकर्षण इन्हें मधुबनी खींच लाया है ।
कला क्षेत्र में रिसर्च कर रही इटली की अल्फांसो मधुबनी पेंटिंग सीखने और उसकी सांस्कृतिक विरासत को समझने के लिए मधुबनी पहुंची हैं। दो सप्ताह मधुबनी में रहकर मधुबनी पेंटिंग को बारिकी से सीख रही हैं। मिथिला पेंटिंग इंस्टीट्यूय की शिक्षिका डॉक्टर रानी झा के सानिध्य में रहकर मधुबनी पेंटिंग ,कलाकारों का रहन सहन संस्कृति भाषा सहित अन्य मामलों को बारीकी से समझने की कोशिश कर रही हैं। अल्फांसो ने कहा मधुबनी पेंटिंग के बारे में काफी सुनी थी और पेंटिंग देखने मे काफी अच्छी लगी यही कारण है कि मधुबनी पेंटिंग यहां खींच लायी। उन्होंने कहा कि मधुबनी मिथिला के लोग बहुत ही अच्छे हैं। मिथिला परंपरा से जुड़े व्यंजन सब बना बना के बहुत खिलाती हैं। ये तीन भाई बहन हैं एक भाई और दो बहन हैं। इटली के बेरगोमा कि रहने वाली हैं। मां टीचर थी और रिटायर हो चुकी हैं। पिता का देहांत हो चुका हैं।विदेशों में मधुबनी पेंटिंग का काफी नाम है मैं भी इसे अपने देश इटली और यूरोप मे पहुंचाऊंगी। इससे दोनों देशों के सम्बंध प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने कहा भारत के यूपी ,आंध्र प्रदेश,राजस्थान ,वेस्ट बंगाल,उड़ीसा भी पेंटिंग को लेकर जा चुकी हूं वहां के कलाकारों से मिली लेकिन मधुबनी पेंटिंग सबसे अच्छी लगी ।यहां के कलाकार और आम लोग काफी अच्छे लगे हैं।उन्होंने कहा मधुबनी पेंटिंग को सीखकर इसे इटली सहित अन्य यूरोपीय देशों में विस्तार करूंगी।अल्फांसो ने कहा मधुबनी पेंटिंग में महिलाओं और लड़कियों को पेंटिंग करते देखी । यहां के कलाकार सिर्फ पेंटिंग ही नहीं करते हैं बल्कि इससे आत्मनिर्भर हुई हैं और जीवीकोपार्जन करती हैं यह बहुत अच्छी बात है। सरकार भी कलाकारों को बढ़ावा दे रही है और कलाकार को आर्थिक मदद सहित अन्य तरह से सहायता कर रही जो काबिले तारीफ है। भारत मे पेंटिंग के क्षेत्र में काफी रोजगार के अवसर हैं जिससे कलाकार आत्मनिर्भर हो रहे हैं।वहीं प्रशिक्षिका रानी झा कहती हैं अल्फांसो मेरे साथ मेरे आवास में रहकर पेन्टिग को बारीकी से सीख रहे हैं कलर पेपर सहित अन्य कॉम्बिनेशन को सीख रही हैं । मधुबनी पेंटिंग वाले गावों में जाकर कलाकारों से भी मिलकर उनके हालात से वाकिफ हो रही हैं । 5 जनवरी को वापस इटली लौटेंगी इस दौरान इन्हें मधुबनी पेंटिंग कलाकारों का रहन सहन संस्कृति के बारे में जानकारी दे रही हूं। अल्फांसो मधुबनी पेंटिंग पर पूरी तरह रिसर्च वर्क कर वापस अपने वतन लौटेंगी और इसे अपने वतन में भी संवारेगी और विस्तार करेंगी।
अल्फांसो को भारत और यह इलाका यहां के कलाकार आम लोगों का मिलनसार होना काफी अच्छा लगा। वहीं पद्मश्री दुलारी देवी के यहां गई और मिली उन से मिलकर अच्छा लगा उनके घर के चारों और दीवाल पे मिथिला पेंटिंग देख के बहुत खुश हुई। वहीं दुलारी ने बताया कि देश विदेश से लोग मिथिला पेंटिंग सीखने आते हैं। मिथिला कि महिलाएं पहले पिता पति बच्चे के नाम से जाने जाती थीं पर आज महिलाएं अपने नाम से जाने जाते हैं। आप भी आई होंगी तो ये पूछ पूछ कर दुलारी देवी का घर कहां हैं। इटली से यहां ये अकेली आई हैं मिथिला पेंटिंग सीखने के लिए तो ये बहुत बड़ी बात है।