सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर नगर निकाय चुनाव को चर्चा में ला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नगर निकाय चुनाव को लेकर पटना उच्च न्यायालय को चार महीने के अंदर यह निर्णय लेने को कहा।
मुख्य याचिकाकर्ता सुनील कुमार के अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट के AOR राहुल भंडारी ने बताया कि उनकी ओर से सर्वोच्च न्यायालय को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार द्वारा गठित डेडिकेट कमीशन पर रोक लगा रखी थी। इसके बावजूद उक्त डेडीकेटड कमीशन की अनुशंसा पर राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव संपन्न करा दिया।जो अवैध और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।
अधिवक्ता राहुल भंडारी ने आगे कहा कि डेडीकेटेड कमीशन निष्पक्ष नहीं है।यह राजनीतिक कमीशन है। सदस्य राजनैतिक लोग है। अधिवक्ता राहुल भंडारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ के समक्ष पेश हुई और नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया को ग़लत और गैरकानूनी बताते हुए चुनाव को निरस्त करने की प्रार्थना की। राहुल भंडारी ने आगे कहा कि अधिवक्ता जी.प्रियदर्शनी,सत्यम पाठक और रोहित प्रकाश याचिकाकर्ता की ओर दायर याचिका में बतौर अधिवक्ता के रूप में शामिल हैं।
वहीं, बिहार सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सह सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने याचिकाकर्ता की ओर से दी गई दलील को सिरे से नकारते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में मामला लाया जा चुका है। ऐसे में याचिका को निरस्त करना न्याय संगत होगा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने पटना उच्च न्यायालय को चार महीने का समय सीमा निर्धारित करते हुए निर्देश दिया है कि वो याचिकाकर्ता की ओर से उठाए गए विषयों पर सुनवाई करे। वहीं याचिकाकर्ता को यह राहत दिया है कि वो पटना उच्च न्यायालय के निर्णय से यदि सहमत नहीं हो तो वापस सुप्रीम कोर्ट आ सकते हैं। यानी याचिका को खारिज न कर नगर निकाय चुनाव के प्रकिया को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है।