दरभंगा से गौतम झा की रिपोर्ट
कालिदास पर गंभीर अन्वेषण का परिणाम है यह पुस्तक उक्त बातें वरीय साहित्यकार स्व. पंडित लक्ष्मण झा जी द्वारा लिखित महाकवि कालिदास कहाँ और कब पुस्तक उनके सुपौत्र एवं झंझारपुर प्रखंड अंतर्गत अड़रियासंग्राम के समाजसेवी गौतम झा के हाथों प्राप्त करते हुए माँ श्यामा मन्दिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो.जयशंकर झा ने कहीं । आगे उन्होंने कहा कि कालिदास के काल एवं जन्म स्थान के संबंध में जिस प्रामाणिकता के साथ स्व. लक्ष्मण झा जी ने अपनी कृति “कालिदास कहां और कब” में तथ्यों का उल्लेख किया है, वह कश्मीर, बंगाल अथवा उज्जैन के दावों में नहीं देखा जा सकता है । यहां तो कालिदास के नाम से उनके आवासीय परिसर के खाता खेसरा तक का भी उल्लेख लेखक द्वारा किया गया है । इसे निर्विवाद रूप से टोडरमल के भू – मापी अथवा अंग्रेजी शासन में कराए गए सर्वे में यथावत् पंजीकृत किया गया है । स्वर्गीय लक्ष्मण झा जी ने अपनी कृति से यह सिद्ध कर दिया है कि कालिदास गुप्त कल के उत्तरार्ध में उत्पन्न हुए थे तथा उच्चैठ भगवती ही उनके परमाराध्या थी । उन्हीं से वरदानित होकर वे अद्वितीय प्रतिभा संपन्न हो सके । मधुबनी जिले के झंझारपुर अनुमंडल अंतर्गत अड़रियासंग्राम निवासी वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी व साहित्यकार स्वर्गीय पंडित लक्ष्मण झा जी ने अपनी कृति में कालिदास काव्य पर आधारित अंत: साक्ष्यों एवं जीवंत जनश्रुतियों के आधार पर जो स्थापना की है, उसके समक्ष राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पूर्वाग्रह रहित विभूतियों एवं शोधकर्ताओं को देर सबेर नतमस्तक होना पड़ेगा । इस अवसर पर लेखक के सुपौत्र स्वतंत्र पत्रकार गौतम झा ने बताया कि बहुत ही जल्द हीं इस पुस्तक का द्वितीय अंग्रेजी संस्करण आप सबों के बीच होगा ।
मौके पर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य एवं मधुबनी जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष डॉ. संजीव झा, कला संस्कृति युवा विभाग के राज्य परामर्शदात्री सदस्य उज्ज्वल कुमार, बी.एम.ए. कॉलेज बहेड़ी के रसायनशास्त्र के प्राध्यापक डॉ. आनंद मोहन झा तथा सुमधुर भजन गायक सुभाष चौधरी आदि गणमान्य लोग मौजूद थे ।
