Thursday, January 23, 2025
No menu items!
Homeमधुबनीउत्तम ग्राम ननौर के दुर्गा स्थान परिसर में साहित्यिकी के 364 वें...

उत्तम ग्राम ननौर के दुर्गा स्थान परिसर में साहित्यिकी के 364 वें गोष्ठी का हुआ आयोजन

 

झंझारपुर से गौतम झा की रिपोर्ट: झंझारपुर अनुमंडल अंतर्गत अंधराठाढ़ी अंचल के उत्तम ग्राम ननौर के दुर्गा स्थान परिसर में साहित्यिकी के 364 वें गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया । ग्रामीण प्रोफेसर डॉ. जयानंद मिश्र के संयोजन, शिक्षक सह पत्रकार डॉ. संजीव शमा एवं प्रोफेसर अजीत मिश्र के कुशल संचालन तथा प्रोफेसर विष्णुकांत मिश्र की अध्यक्षता में गोष्ठी का शुभारंभ मां शारदे के तैल चित्र पर पुष्पार्पण एवं गोसाउनी गीत जय जय भैरवी के सामूहिक गान से हुआ ।

आकाशवाणी के गायक काशीनाथ झा किरण के स्वागत गान के पश्चात संयोजक डॉ जयानंद मिश्र ने आगत अतिथियों को अपने उद्बोधन से स्वागत किया ।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र का आरंभ संचालन करते हुए कवि डॉ. संजीव शमा ने गणेश वंदना हे यौ गणपति गजानन आबू के गान से किया । कथाकार मेघानन्द झा ने की कथा गुड़ मधुर एवं प्रो. अजीत मिश्र के तेतरी गाछ कथा को श्रोताओं ने खूब सराहा । युवा कवि राघव रमण की शारदे वंदना जयति जय मां शारदे, समीर कुमार दास की लक्ष्मिक अग्नि परीक्षा, रतिनाथ झा की बाते किछु आर छै, प्रोफेसर सरोज ठाकुर की सुनु यौ सजन एवं पछवा केने अछि बेहाल सस्वर गान ने आनंदमय वातावरण बना डाला । कवियित्री प्राची झा की कविता किछु करय लेल समय नै या, कवि अनुराग मिश्र की बेचनाक तीन चकिया ठेला, गजलकार प्रदीप पुष्प की गजल भाला बरछी तीर तलवार ककरा लेल श्रोताओं को सोचने पर मजबूर किया । वहीं, नवोदभिद कवि सौरभ झा की फूइस बजय छी, कलानाथ झा की टटका एवं चिंता, अजय कुमार दास की हम सब भटकि गेल छी, प्रोफेसर विष्णुकांत मिश्र की मिथिला राज्य, प्रोफेसर जगदीश मिश्र की पत्र कवितावली एबरी जे गाम ने अइले, कवि अखिलेश झा की निरुत्तर राम, कल्प कवि की उयह सूर्यदेव छथि भाई, डॉ. जयानंद मिश्र की फूल, डॉ. संजीव शमा की फूलक रंग एवं अमल झा की कविता पसारी को सुन श्रोता खूब आनंदित हुए ।

इस अवसर पर भारत के संविधान को मैथिली अनुवाद करने में सहभागी बने मैथिली के प्राध्यापक डॉ. शैलेंद्र मोहन मिश्र को पाग, शॉल व अभिनंदन पत्र देकर संयोजक महोदय डॉ. मिश्र द्वारा सम्मानित किया गया । गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रोफेसर विष्णुकांत मिश्र ने कहा कि साहित्य समाज की आत्मा है और यदि आत्मा पवित्र हो तो शरीर भी पवित्र होगा। समाज में स्वस्थ और सांस्कृतिक शुचिता का वातावरण निर्मित हो इसके लिए साहित्यिक आयोजन का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है । गोष्ठी में प्रोफेसर जगदीश मिश्र, उदय कुमार झा, नागेश्वर झा, प्रोफेसर सुनीता झा, अनुप कश्यप, शैलेंद्र मोहन मिश्र, अनिल झा आदि विद्वानों ने भी अपने विचार रखे । इस मौके पर प्रो. दयानन्द झा, प्रो. देवेन्द्र झा दीन, मलय नाथ मिश्र समेत दर्जनों साहित्य प्रेमी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन शैलेंद्र मोहन मिश्र ने की ।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

अभी अभी

लोकप्रिय खबर