Monday, December 8, 2025
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अंधराठाढ़ी प्रखंड स्थित हरड़ी पंचायत के भभाम गांव की साक्षी ने स्वाध्याय से जेईई मेंस परीक्षा में रचा सफलता का इतिहास

अड़रियासंग्राम (मधुबनी) से गौतम झा कि रिपोर्ट

बेटियां आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं, चाहे बात उच्च शिक्षा की हो या आत्मनिर्भरता की । अंधराठाढ़ी प्रखंड स्थित हरड़ी पंचायत अंतर्गत भभाम गांव की साक्षी ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि लगन, मेहनत और आत्मविश्वास हो तो कोई भी लक्ष्य मुश्किल नहीं । साक्षी ने राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतिष्ठित ‘जेईई मेंस परीक्षा’ में 372वीं रैंक हासिल कर न केवल अपने माता – पिता बल्कि पूरे गांव और समाज को गौरवान्वित किया है ।

विशेष बात यह रही कि साक्षी ने यह सफलता बिना किसी कोचिंग या ट्यूशन के केवल स्वाध्याय के बल पर प्राप्त की । उन्होंने यह उपलब्धि अपने घर पर रहकर, माता – पिता के मार्गदर्शन में निरंतर अध्ययन के माध्यम से हासिल की । यह आज के समय में दुर्लभ उदाहरण है, जब अधिकांश छात्र महंगी कोचिंग संस्थाओं पर निर्भर रहते हैं । साक्षी के पिता श्री राजेश झा और माता श्रीमती भव्या देवी दोनों ही शिक्षक हैं । वर्तमान में वे पूर्वी चंपारण जिले के चकिया प्रखंड में अध्यापन का कार्य कर रहे हैं । परिवार में शिक्षा का माहौल होने के कारण साक्षी को बचपन से ही पढ़ाई – लिखाई में विशेष रुचि थी । मैट्रिक और इंटर की परीक्षा साक्षी ने प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की और अब जेईई जैसी कठिन प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर पूरे क्षेत्र की पहचान बढ़ा दी है । इस सफलता के पीछे एक प्रेरणादायक कहानी भी जुड़ी है । साक्षी ने एक पत्रिका में प्रकाशित ‘अनसंग यात्री’ नामक लेख पढ़ा, जो आविष्का शर्मा नामक महिला की जीवन यात्रा पर आधारित था । इस लेख ने साक्षी को गहराई से प्रभावित किया और उन्होंने पारंपरिक विषयों के बजाय स्वाध्याय को अपनाते हुए आत्मनिर्भर होकर तैयारी करने का निश्चय किया । साक्षी की सफलता ने पूरे गांव में खुशी का माहौल बना दिया है । उनके चाचा देवनारायण झा, अशोक, अरुण झा, राजीव और चुलबुल उग्र मोहन झा, आनंदमोहन झा, विकास, भाष्कर सहित पूरे परिवार व ग्रामवासियों में गर्व की भावना है । सभी ने साक्षी को उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं । साक्षी का कहना है कि यदि मन में लक्ष्य प्राप्ति का जुनून हो और समर्पण के साथ मेहनत की जाए, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता । ठेठ ग्रामीण परिवेश में रहकर भी उन्होंने यह दिखा दिया कि असंभव कुछ भी नहीं । उनकी यह सफलता खासकर उन छात्राओं और छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं । साक्षी ने यह सिद्ध कर दिया कि पढ़ाई में ‘कोचिंग जरूरी’ यह एक मिथक है । सच्चा संकल्प और समर्पण ही सफलता की कुंजी है ।

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