अड़रियासंग्राम [झंझारपुर] से गौतम झा की रिपोर्ट
याज्ञवल्क्य की तपोभूमि का वैदिक व पौराणिक गौरव लौटेगा । उक्त बातें सुदूर कर्नाटक के रायचूर जिले से आए याज्ञवल्क्य स्थल उत्थान समिति के संरक्षक ऋषि कंद सत्यनारायण मजूमदार के नेतृत्व में मिले ज्ञापन के पश्चात राज्यसभा के माननीय सांसद सह संस्कृति, पर्यटन एवं परिवहन के स्थायी समिति के चेयरमैन संजय कुमार झा ने कहीं ।
आगे प्रो.जयशंकर झा से कन्नड़ के विद्वान और याज्ञवल्क्य के लिए समर्पित जीवन जी रहे श्री मजूमदार का परिचय प्राप्त कर प्रफ्फुलित हुए । साथ ही संस्कृति, पर्यटन एवं परिवहन समिति में चेयरमैन के नाते जल्द ही महर्षि याज्ञवल्क्य से जुड़े उक्त स्थलों के रिव्यू करने की बात कही ।
ज्ञापन सौंपते हुए समिति के संरक्षक सत्यनारायण मजूमदार ने याज्ञवल्क्य की जन्मभूमि गुजरात के वडनगर से लेकर उनकी तपोभूमि मिथिला के जगवन तक महर्षि की जीवन यात्रा से विस्तार से अवगत कराया । साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की व्यक्तिगत अभिरुचि के कारण याज्ञवल्क्य की जन्मभूमि वडनगर में हो रहे विकास की तरह उनकी तपोभूमि मधुबनी के जगवन के समग्र उत्थान की मांग की । इस अवसर पर माँ श्यामा मन्दिर न्यास समिति के उपाध्यक्ष प्रो. जयशंकर झा ने जगवन को वेदांत की जन्मभूमि बताते हुए याज्ञवल्क्य को महान मंत्रद्रष्टा होने के साथ ही विलक्षण स्मृतिकार की संज्ञा दी ।साथ ही जगवन में महर्षि की स्मृति में स्मारक बनाने के साथ ही इस स्थल को रामायण सर्किट से जोड़ते हुए अध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप विकसित करने की मांग की ।
का.सिं.द.सं.वि. स्नातकोत्तर साहित्य विभाग के वरीय प्राध्यापक सह याज्ञवल्क्य छात्रावास अधीक्षक प्रो. संतोष पासवान ने सांंसद संजय झा के विरासत संरक्षण में उनकी गहरी अभिरुचि व उनकी कार्यशैली से जगवन के जगमग भविष्य को सुनिश्चित बताया । समिति के सचिव विजय लाल यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच के अनुरूप वर्षों से यहाँ हो रहे महोत्सव को राजकीय घोषित किए जाने की मांग की । कला संस्कृति एवं युवा विभाग के राज्य परामर्शदात्री सदस्य उज्ज्वल कुमार ने याज्ञवल्क्य की तपोभूमि जगवन में आकर सत्यनारायण मजूमदार द्वारा किए कार्य देखने का आग्रह किया । मौके पर समिति के कोषाध्यक्ष श्यामल किशोर श्रीवास्तव, निशांत आनंद, अंकित आनंद, सुरेंद्र यादव आदि मौजूद थे ।
याज्ञवल्क्य स्थल उत्थान समिति की ओर से अंगवस्त्र, पाग, याज्ञवल्क्य पर केंद्रित पुस्तक एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर अभिनंदित किया गया ।विदित हो कि श्रीराम कथा की पावन धारा से महर्षि भारद्वाज को परिचित कराकर इसे लोकप्रिय बनाने का सूत्र महर्षि याज्ञवल्क्य ने ही दिया था ।