Monday, January 13, 2025
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किसान डीएपी, पोटाश, यूरिया एवं बीज के लिए दर-दर भटक रहे हैं।

 

राजद जिला प्रवक्ता इंद्रजीत राय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि अभी मुख्य रूप से जिला में रबी फसलों की बुआई गेहूं, मक्का बुआई का समय है और किसान डीएपी, पोटाश, यूरिया एवं बीज के लिए दर-दर भटक रहे हैं। कहीं मिल भी रहा है तो कालाबाजारी के माध्यम से निर्धारित मूल्य से दोगुने अधिक दाम पर। किसानों में भारी आक्रोश है। जिले में डीएपी, एनपीके,पोटास, फास्फेट की भारी किल्लत और कालाबाजारी हो गई है। बेरोकटोक कालाबाजारी के कारण महंगें दामों पर किसान फास्फेटिक खाद खरीदने को मजबूर हो गये है। बता दें कि 1350 रुपये का डीएपी 1900 रुपये से लेकर 2200 रुपये तक चोरी छिपे बाजार में बिक्री हो रहा है। और प्रशासनिक महकमा मौनव्रत मुद्रा धारण कर देख रहा है। आमतौर पर 15 दिसम्बर तक ही गेहूं की बुआई के लिए उत्तम समय माना जाता है। किसानों के इस भयावह स्थिति के लिए केन्द्र और राज्य सरकार दोनों ही जिम्मेवार है। दोनों ही सरकारें किसानों के साथ छल प्रपंच और नाटक कर रही है। किसान दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर बने हुए हैं । लेकिन किसानों की परेशानी की ओर सरकार तथा संबंधित पदाधिकारियों का कोई ध्यान नहीं है ।

हताश किसानों के साथ अब महिलाएं भी अपने घर का काम छोड़कर खाद के लिए सुबह से शाम तक भटकने को मजबूर बनी हुई हैं लेकिन शाम तक हताश होकर खाद नहीं मिलने से घर लौटना पड़ता है । डीएपी खाद सहित यूरिया, पोटास की कालाबाजारी क्षेत्र में जोरों से चल रही है । खाद की किल्लत के चलते खाद विक्रेता दुकानदार मनमानी दर से चुपके चुपके से खाद की बिक्री कर रहे हैं और संबंधित विभाग मूकदर्शक बनकर बैठा हुआ है और खाद को लेकर जबरदस्त मारामारी मची हुई है ।

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