Tuesday, January 14, 2025
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फेल रहा नीतीश का समीकरण, नहीं चल पाया तेजस्वी का नौकरी फॉर्मूला, निर्दलीय शंकर सिंह जीत गए रुपौली; समझें A टू Z विश्लेषण…… . 

रिपोर्ट : सानु झा

पूर्णिया लोकसभा अंतर्गत रुपौली विधानसभा के उपचुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने जीत का सेहरा अपने सिर पर बंधा। शंकर सिंंह ने 8246 मतों से जीत दर्ज की। उन्‍हें कुल 68070 मतों की प्राप्ति हुई। दूसरे नंबर पर रहे जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल को कुल 59824 मतों की प्राप्ति हुई। वहीं, तीसरे नंबर पर RJD प्रत्याशी बीमा भारती को मात्र 30619 मतों की प्राप्ति हुई, इस चुनाव में भी बीमा का प्रदर्शन काफी खराब रहा। यह सीट तब चर्चा का विषय बना जब यहाँ की विधायिका बीमा भारती ने ना सिर्फ पार्टी बल्कि अपने पद का भी परित्याग कर JD(U) से RJD में जाकर पूर्णिया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ी।

RJD ने पूर्णिया लोकसभा से दिया था बीमा को टिकट :

आज से ढाई महीने पहले जब देश में लोकसभा का चुनाव होना था तब जैसे आज पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट चर्चा के केंद्र में है, ठीक उसी प्रकार स्वयं पूर्णिया लोकसभा सीट भी काफी चर्चा में बनी रही। जैसे इस उपचुनाव में शंकर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ट्रेंडिंग में रहे ठीक उसी प्रकार लोकसभा चुनाव में भी पप्पू यादव निर्दलीय ताल ठोकते ट्रेंडिंग में रहे। बीमा भारती लगातार इस रुपौली सीट से विधायक बनती रहीं, परंतु पति और बेटे के ऊपर केस आने के बाद उनका मोह JD(U) से भंग हो गया, और उन्होंने RJD का दामन थामा। उनके टक्कर में JD(U) के तत्कालीन सांसद संतोष कुशवाहा और निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव मैदान में थे। मतगणना के दौरान संतोष कुशवाहा लीड में थे लेकिन, अंततः जीत निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव की हुई। बीमा भारती ने JD(U) विधायक पद से इस्तीफा दे दिया और RJD जॉइन कर पूर्णिया से बतौर लोकसभा चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार बन गईं और चुनावी परिणाम में अपनी जमानत नहीं बचा पाईं।

कौन हैं शंकर सिंह जिन्होंने जीता निर्दलीय उपचुनाव : 

शंकर सिंह मिलनसार व्यक्तित्व के हैं, इन्होंने 2005 में संयुक्त LJP से MLA का चुनाव लड़ा और जीता भी लेकिन, विधानसभा भंग होने कारण इन्होंने विधानसभा का मुँह नहीं देखा। इसके बाद शंकर सिंह 2010, 2015 और 2020 लोजपा के प्रत्याशी के तौर पर रुपौली से विधानसभा चुनाव लड़ते रहे। सामान्य मतों की अंतर शंकर चुनाव हारते रहे। वहीं इस बार यह सीट NDA गठबंधन के घटक दल JD(U) में जाने से शंकर सिंह ने अपना मोह लोजपा से भंग कर लिया और निर्दलीय चुनाव में कुद कर अप्रत्याशित जीत दर्ज किये।

क्यों हुआ तेजस्वी का प्रयोग फेल और क्यों हिल गया JD(U) का दुर्ग : 

पूर्णिया की रुपौली विधानसभा सीट सदैव JD(U) के पास रहती रही है। इस सीट पर लगातार बीमा भारती JD(U) के बैनर तले विधायक बनती रही। JD(U) ने 2024 के इस उपचुनाव में कलाधर मंडल को अपना प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतरा, RJD ने बीमा भारती को अपना प्रत्याशी बनाया, वहीं, शंकर सिंह निर्दलीय उम्मीदवार बनकर पक्ष और विपक्ष को झेलते रहे। बता दें कि RJD और JD(U) के दोनों प्रत्याशी गंगोता समाज से आते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ बिहार भाजपा के कई बड़े नेताओं ने JD(U) प्रत्याशी के समर्थन में जनता से वोट डालने की अपील की। मुख्यमंत्री ने तो यहाँ तक कह दिया था कि बीमा को कुछ बोलने नहीं आता था, हमने उसको मंत्री बनाया। जो मुझे छोड़कर जाता है उसका सब गड़बड़ हो जाता है।

जवाब में बीमा ने कहा कि पहली बार मैं निर्दलीय विधायक चुनकर कर सदन पहुंची थी, तब क्या नीतीश कुमार का हाथ मुझ पर था? अंतोगत्वा ना तो रुपौली में नीतीश मॉडल काम किया और ना ही तेजस्वी यादव का खटाखट नौकरी देने वाला फॉर्मूला। रुपौली JD(U) का सबसे पुराना किला रहा है जिसे निर्दलीय उम्मीदवार शंकर सिंह ने ढाह दिया।

तेजस्वी यादव की रही अनदेखी :

पहले लोकसभा में पप्पू यादव के खिलाफ तेजस्वी का वह बयान कि “मुझे नहीं तो NDA को वोट देना; किसी तीसरे को मत देना” जिसने पूरे चुनाव को ही अलग रूप दे दिया और परिणाम हुआ कि बीमा भारती जमानत भी बचा नहीं सकी। वहीं इस विधानसभा उपचुनाव में एक ओर सत्ता पक्ष जीत का हर पैतरा अपनाता रहा वहीं, तेजस्वी का अनमनस्थ ढंग से चुनाव में मात्र एक दिन अपने प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने आना वह भी इस असफलता का कारण बना।

पार्टियों की फेल रही जातीय समीकरण :

JD(U) हो या RJD दोनों ने अपने प्रत्याशी गंगोता समाज से उतारे। JD(U) का साइलेंट वोटर्स और लव-कुश समीकरण भी कमोवेश फेल रहा। वहीं RJD का MY समीकरण में भी शंकर सिंह की भारी सेंध मारी देखने को मिली। पप्पू यादव ने अंततः अपना समर्थन बीमा भारती को दिया लेकिन उसका कोई सार्थक प्रभाव बीमा के पक्ष में देखने को नहीं मिला।

 

 

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